विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 45)
कोई भी युद्ध कभी निराधार नही होता, परंतु फिर भी युद्ध का सबसे बड़ा कारण शक्ति संचय, सबसे सर्वश्रेठ बनने की महत्वाकांक्षा अथवा सब पर शासन करने की लालसा ही रहें हैं। शांति कभी युद्ध का कारण नहीं हो सकती, पर युद्ध के बिना शांति महत्वहीन हो जाती है।
अंधेरे की दुनिया में हो रहा युद्ध उजाले की दुनिया से अधिक भिन्न नही था, क्योंकि किसी भी दुनिया में युद्ध का कारण सदैव स्वयं के सत्ता की स्थापना ही रही है।
मेराण और ग्रेमाक्ष दोनों की ही सेनाएं समाप्त हो चुकी थी, बचे हुए सैनिक छल या बल कर अपने प्रतिद्वंद्वी को नष्ट करने को आतुर हो रहे थे। मेराण अपनी आत्मशक्ति एवं फुर्ती के दम पर ग्रेमाक्ष के समक्ष टिक सकने में सफल हो रहा था। पर ग्रेमाक्ष अब भी उसपर भारी पड़ रहा था, अब वह अपनी तामसिक शक्तियों का भी प्रयोग करने लगा था जो उसके क्रोध के कारण भीषण रूप धरकर मेराण एवं उसके सैनिको पर गाज बनकर गिरी, ग्रेमाक्ष का पलड़ा भारी होने लगा था।
"उस प्राइम को भेजकर तूने अच्छा किया मेराण! वह स्वयं को अंधेरे का उत्तराधिकारी कहता है और तुमने मान लिया? हाहाहा…!" अपने दोनों हाथों में सोर्ड-एक्स थामें, मेराण की सीने पर गड़ाते हुए ग्रेमाक्ष ने प्रश्नवाचक व्यंग्य किया। "उसे तो मैं देख लूंगा, पर तू बता तुझे कैसी मौत चाहिए?" ग्रेमाक्ष की हंसी युद्धक्षेत्र में फैल गयी, यह खूंखार अट्ठहास सुनकर शायद युध्द में बिखरे सैनिकों के मृत शरीर भी कांप गए होंगे। सोर्ड-एक्स का नुकीला भाग मेराण की सीने में बीचो धँसता जा रहा था।
"तुम नही जानते कि मैंने किसकी बात पर यकीन किया और किसपर नही; तुम कुछ भी नहीं जानते हो ग्रेमाक्ष!" अचानक ही मेराण रौद्र रुप धारण करने लगा, वह पहले से शक्तिशाली प्रतीत होने लगा। उसके एक इशारे पर धरती का सीना फाड़कर निकली स्याह जड़ो ने ग्रेमाक्ष को कस लिया। मेराण इस समय पूर्व से कई गुणा शक्तिशाली एवं तरोताजा महसूस कर रहा था, उसके चेहरे पर एक मुस्कान नृत्य कर रही थी.. कुटिल मुस्कान!
"आखिर मैं सफल हुआ हाहाहा….!" मेराण की हँसी ग्रेमाक्ष से भी अधिक भयानक थी। मेराण के बदले स्वभाव को देखकर ग्रेमाक्ष झेंप गया, उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि मेराण के पास प्रकृति की शक्ति कैसे आ गयी।
"बोल ग्रेमाक्ष तुझे कैसी मृत्यु स्वीकार होगी?" मेराण उछलकर ग्रेमाक्ष के सीने पर जोरदार घुसा मारते हुए बोला। ग्रेमाक्ष ने इतने अधिक शक्तिशाली वार की अपेक्षा नही की थी वह अपने सीने को पकड़कर बैठ गया।
"मृत्यु मुझे नही तुझे बुला रही है मेराण;" अपने घुटनों पर बैठा हुआ ग्रेमाक्ष मुस्कुराया, वह स्वयं को पहले से अधिक शक्तिवान महसूस कर रहा था, उसने उन जड़ो को तोड़कर स्वयं को मुक्त करा लिया। उसकी सींगे चमत्कारिक रूप से चमकने लगी।
"ये कैसे हो सकता है ऊर्जा तो सिर्फ मुझे मिलनी चाहिए थी!" मेराण हैरानी में भरकर देखते हुए बुदबुदाया। उसकी आँखें यह दृश्य देखकर फटी की फटी रह गई।
ग्रेमाक्ष की चमकती सींगो से ऊर्जा निकलकर मेराण की ओर बढ़ी, मेराण को धीरे धीरे सब समझ में आने लगा था, उसकी चाल विफल होने को थी। अब उसका क्रोध अपनी सीमा पार कर चुका था वह अपनी जीती हुई बाजी किसी भी हाल में हारना नही चाहता था।
मेराण अपने ऊर्जा द्वारा तुरंत एक पारदर्शी कवच बनाकर स्वयं का बचाव किया, इस कवच ने कांच के समान ठोस रूप धारण कर लिया। जिस कारण मेराण का वार टकरा कर छितरा गया। मेराण अभी स्वयं की इन शक्तियों से अनभिज्ञ था, उसके तेज दिमाग ने तुरंत कार्य करना शुरू कर दिया।
ग्रेमाक्ष भी क्रोध में पागल हो चुका था, दो योद्धा, दोनों को ही अंधेरे के इस महान राज्य का शासन चाहिए, एक जैसी शक्ति, एक जैसी महत्वाकांक्षाएं एक ही जैसा बुद्धि बल! जो पहले वार करेगा वही जीतेगा। ग्रेमाक्ष और मेराण शक्ति के मद में चूर हुए जा रहे थे, मेराण बुद्धिबल पर विश्वास रखता था परन्तु ग्रेमाक्ष अपने ताक़त के दम पर सबकुछ जीतने की इच्छा रखता था।
ग्रेमाक्ष अपनी नई शक्ति से मेराण पर लगातार वार करता जा रहा था, मेराण उसके प्रत्येक वार से बचने की असफल कोशिश कर रहा था, कई बार वह किरण मेराण को चीरते हुए निकल गयी, ग्रेमाक्ष की जीत सुनिश्चित हो चुकी थी, आसपास के सभी पहाड़ ढह गई थे। मेराण एक बार फिर गिर चुका था, इस बार किसी चमत्कार की कोई अपेक्षा न थी, ग्रेमाक्ष का आखिरी वार ऊर्जा किरण के रूप में मेराण को सदा सदा के लिए मौत की नींद सुलाने को बढ़ी, इस किरण का स्पर्श भी मेराण को सदा के लिए समाप्त कर देता। ऊर्जा किरण मेराण की बिल्कुल पास थी, अगले ही पल उसका नामोनिशान मिटना तय था, अचानक वहां ऊर्जा की सख्त खोल बनने लगी, ऊर्जा टकराकर छितराने लगी, अचानक ग्रेमाक्ष के चारों ओर उसी प्रकार के खोल बनने लगे, ग्रेमाक्ष ने इसे तोड़ने के लिए ऊर्जा का प्रयोग जारी रखा, परन्तु यह खोल अभेद्य था, इससे निकल पाना असंभव था, खोल ऊर्जा किरणों और ग्रेमाक्ष के चीखों से भर गया। मेराण अपने विजय से अत्यधिक प्रसन्न था, उसकी अट्ठहास वातावरण में गूंज रही थी।
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डार्क प्राइम अपने विशेष स्थान पर बैठा हुआ, शक्ति स्थानांतरण की प्रक्रिया कर रहा था, इसके लिए मेराण ने विशेष सूची प्रदान की हुई थी। जैसे जैसे प्राइम का ध्यान गहराता जा रहा था वह स्वयं को शक्तिहीन महसूस कर रहा था, ऐसा लग रहा था मानो कोई उसकी शक्तियों को चुरा रहा हो! फिर भी प्राइम अपने साथी के पुत्र को बचाने के लिए तत्पर रहा।
अचानक ही वह अत्यधिक कमज़ोर हो गया, जैसे उसकी समस्त शक्तियां उससे अलग हो गयी हों, वह अचेत होने लगा। थोड़े समय बाद वह जगा तो वह बिल्कुल अनजान स्थान पर था, उसे स्वयं में भी कई बदलाव महसूस हो रहे थे, वह स्थान सामान्य तो बिल्कुल भी नही था।
"कौन है? ये सब क्या है? किसने लाया है यहां मुझे? सामने आओ!" डार्क प्राइम जोर जोर से चीख रहा था।
"तुमने अपने नियम का उल्लंघन किया है डार्क प्राइम!" डार्क प्राइम के समक्ष एक जलता हुआ साया आया, जिससे बहुत बुरी दुर्गंध आ रही थी। उसके शरीर के भीतर अनगिनत चिताए जल रही थीं, ऐसा प्रतीत होता था मानो जैसे ये कोई चलता फिर शमशान घाट हो।
"तुम कौन हो? मैंने कौन से नियम का उल्लंघन किया है?" डार्क प्राइम हैरान था, उसकी कमज़ोरी उसे खड़ा तक नही रहने दे रही थी।
"मैं वो हूँ जिससे तुम्हें शक्तियां मिलीं हैं! परंतु तुमने आज नियम उल्लंघन किया है, यदि मैं न होता तो तुम अब तक काल के ग्रास बन चुके होते। मुझे कालकेतु के नाम से जाना जाता है।" वह साया प्राइम के करीब पहुचता जा रहा था, प्राइम की आँखे बंद होती जा रही थी, उसे यह सब एक बुरे सपने जैसा लग रहा था।"
"मैंने कौन सा उल्लंघन किया है?" डार्क प्राइम क्रोध में चिल्लाना चाहता था परन्तु उसके मुख से मक्खियों की भिनभिनाहट ही निकली।
"शक्ति का स्थानांतरण! तुमने जीवित चेतन शरीर में शक्ति का स्थानांतरण किया है!" कालकेतु शांत स्वर में बोला, पर उसके शान्त स्वर से भी डार्क प्राइम की रूह तक सिहर जा रही थी। "तुम्हें तो पता ही है, नियम भंग तो पतन निश्चित!"
"परन्तु मैंने तो मेराण के पुत्र को अपनी शक्तियां दी है! ताकि उसका जीवन बचाया जा सके, ऐसा करके मैने किसी नियम को भंग नही किया।" डार्क प्राइम को कुछ भी समझ नही आ रहा था।
"मेराण का तो कोई पुत्र ही नही है! तुम भला मेराण के पुत्र को कैसे जीवित कर सकते हो जो कभी जन्मा ही नही?" उस साये ने जैसे डार्क प्राइम के मस्तिष्क में विस्फोट किया। "तुम झूठे भावनाओ में बह गए डार्क प्राइम, तुम्हारे अंदर शेष बची अच्छाई ने तुम्हें हरा दिया।"
"तभी मुझे इतनी कमज़ोरी छा रही है,, क्योंकि किसी शिशु के लिए मेरे शक्तियों का मामूली अंश भी काफी होता! मेराण….!" डार्क प्राइम क्रोध से चीख रहा था।
"अब तुम कुछ नही कर सकते प्राइम! जो हो चुका है वह बदला नही जा सकता, अब ये शक्ति उसी को चुनेगी जो युद्ध में विजयी होगा।" कहते हुए कालकेतु वहां से जाने लगा।
"और मेरा क्या होगा?" डार्क प्राइम ने पूछा। "क्या अब मेरा कोई अस्तित्व बाकी नही रहा?" उसके स्वर में बेबसी झलक रही थी। "रुको मैं तुम्हें जानता हूँ, तुम कोई कालकेतु नही बल्कि मेरे पिता हो?" डार्क प्राइम हद से ज्यादा अधीर हो चुका था।
"तुम्हें अपना श्राप भुगतना ही होगा डार्क प्राइम, परन्तु सही समय आने पर तुम पुनः उत्तराधिकारी बन सकते हो! और फिर ये सम्पूर्ण साम्राज्य तुम्हारा होगा" कहता है वह साया वहां से गायब हो गया।
"पर वह सही समय कब आएगा?" डार्क प्राइम चीखता रहा। "मेराण मेरी शक्तियां चुराकर तू ये युद्ध कभी नही जीत सकता, धोखेबाज….! यह अच्छी ही मेरी हार की सबसे बड़ी वजह हैज़ अब इस अच्छाई की बू मेरे आस पास भी नही फटकेगी। अहह…!" डार्क प्राइम महसूस कर रहा था कि उसकी खोपड़ी जल रही है, वह बेहद कमजोर हो चुका था। फिर अचानक वह फिर अचेत होने लगा। वह वहीं निढाल होकर गिर गया।
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युद्ध विजय कर मेराण जल्दी से डार्क प्राइम के पास पहुंचा, जैसे ही वह उस विशेष कक्ष में प्रवेश करने वाला था उसने देखा डार्क प्राइम का शरीर गायब होता जा रहा था। यह देखकर मेराण खुशी के मारे फूला नही समा रहा था, अब इस सम्पूर्ण साम्राज्य पर उसका एकक्षत्र राज्य था, क्योंकि इसके उत्तराधिकार के दो प्रबल दावेदार डार्क प्राइम और ग्रेमाक्ष रास्ते से हट चुके थे।
मेराण कई दिनों तक उत्सव मनाता रहा, शक्ति के मद में चूर मेराण ने यह तक न देखा था कि ग्रेमाक्ष मरा भी है अथवा नही।
जैसे ही डार्क प्राइम द्वारा यह तय हुआ कि शक्ति उसे मिलेगी जो युद्ध का विजेता होगा, वैसे ही वह खोल हट गया, ग्रेमाक्ष की शक्ति भी गायब हो गयी, वह बुरी तरह घायल हो चुका था परन्तु मरा नही था। डार्क प्राइम की शक्तियों ने उसे मरने नही दिया था।
ग्रेमाक्ष ने पुनः सेना का संगठन आरम्भ किया, थोड़े ही समय में उसने मेराण के अनेको विरोधी जुटा लिए, फिर सही समय का प्रतीक्षा करने लगा। मेराण अब हमेशा अपने सबसे शक्तिशाली एवं सर्वश्रेष्ठ होंने के मद में डूबा रहता था, वह किसी भी प्रकार के हमले के प्रति निश्चिंत था। इसीलिए ग्रेमाक्ष और उसके साथियों के हमले का कोई जवाब न दे पाया, उसके पास से भी डार्क प्राइम की अधिकतर शक्तियां जा चुकी थीं, अंततः मेराण को करारी हार मिली, ग्रेमाक्ष ने कोई रहम नही दिखाया और बहुत ही बुरी मौत मार डाला, साथ ही उसके पूरे परिवार को भी मार डाला गया। किसी पर तनिक भी रहम नही दिखाया गया, जब तक त्रेश वहां आया, सबकुछ खत्म हो चुका था।
मेराण ने सबसे एक ही झूठ बोला था कि उसका एक बेटा है, त्रेश उसे चारों ओर ढूंढ रहा था पर उसका भी कोई अता पता नही चला। डार्क प्राइम की शक्तियों ने मेराण को भी नही मरने दिया था, उसके एक अंश को जीवन देकर शिशु रूप दिया, जिसे त्रेश ले गया।
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"तुम कहना चाहते हो कि वीर ही मेराण है?" सुपीरियर लीडर हक्का बक्का खड़ा था।
"इसीलिए तुम उसके अपने अंश लगे क्योंकि तुम भी मेराण के ही एक अंश को धारण किये थे।" डार्क लीडर गुत्थी सुलझाने के अंदाज में बोला।
"यह कैसे संभव है?" वीर हैरान था। "और तुम्हारे अंदर की अच्छाई कहाँ है? तुम्हारा रूप कहा है? इसका कोई प्रमाण है तुम्हारे पास?"
"विस्तार!"
"क्या…???"
"हाँ विस्तार ही डार्क प्राइम की अच्छाई वाली शक्ति और रूप है।" डार्क लीडर ने जैसे कोई धमाका किया हो, दोनों आँखो में जमाने भर की आश्चर्य भरे से डार्क लीडर को देख रहे थे।
क्रमशः……..
Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 04:59 PM
Nice
Reply
Manish Kumar(DEV)
23-Aug-2021 09:39 AM
Intresting
Reply
🤫
18-Aug-2021 02:49 AM
वेरी इंटरेस्टिंग...वेटिंग फ़ॉर नेक्स्ट...
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